सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कोविड-19 मरीजों के मकान के बाहर पोस्टर लग जाने के बाद उनके साथ अछूतों जैसा व्यवहार हो रहा है और यह एक अलग तरह की जमीनी हकीकत बयान करता है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कोरोना मरीजों के घर के बाहर पोस्टर लगाने का उद्देश्य उनके साथ भेदभाव करना नहीं, बल्कि यह अन्य लोगों की सुरक्षा की मंशा से किया गया था.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
भारत सरकार मध्याह्न भोजन यानी मिड-डे मील योजना के तहत सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को दिन में एक समय का गर्म खाना प्राप्त होता है. केंद्र सरकार गेहूं-चावल के साथ प्रति बच्चे पर 4.5-7 रुपये प्रति दिन की राशि खर्च करती है. स योजना में खाना पकाने और हेल्पर के रूप में 25 लाख महिलाओं को रोजगार मिल रहा है. इसका मतलब यह नहीं कि इसमें सुधार की गुंजाइश नहीं. बीच-बीच में खबर आती रहती है कि दूध या दाल को पानी में घोलकर बच्चों को परोसा जाता है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
सुप्रीम कोर्ट ने को केंद्र और राज्यों को निर्देश दिया कि वे कोविड-19 को लेकर आंगनवाड़ी के संबंध में जारी दिशानिर्देशों के क्रियान्वयन को लेकर हलफनामा दायर करें. लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, इस संबंध में दायर एक याचिका की सुनवाई के दौरान जस्टिस अशोक भूषण, आर. सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की पीठ ने कहा, ‘भारत सरकार 11 नवंबर 2020 को जारी दिशानिर्देशों को लागू किए जाने को लेकर विस्तृत हलफनामा दायर करे.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
केंद्र के नए कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ देश भर में पिछले डेढ़ महीने से किसानों का आंदोलन चल रहा है. अब किसान राजधानी दिल्ली में प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं. 26 नवम्बर की सुबह से किसान पटियाला-अंबाला हाईवे के बैरिकेड को तोड़ते हुए और वॉटर कैनन व आंसू गैस झेलते हुए आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे थे. ऐसे में यूथ कांग्रेस ने कुछ तस्वीरें हाल के प्रदर्शन से जोड़कर शेयर कीं।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
तीन विवादित कृषि विधेयकों के खिलाफ किसानों के दिल्ली चलो मार्च से अलग भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार की आर्थिक और मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ विभिन्न मजदूर संगठनों के आह्वान पर गुरुवार को एक दिवसीय देशव्यापी हड़ताल का देश के विभिन्न हिस्सों में व्यापक असर देखने को मिला। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
देश के कुछ राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में कोरोना वायरस के बढ़ रहे मामलों पर संज्ञान लेते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नए दिशानिर्देश जारी किए. नए दिशानिर्देश एक दिसंबर से लागू होंगे और 31 दिसंबर तक प्रभावी रहेंगे. इन नए दिशानिर्देशों के मुताबिक, राज्यों को अपने यहां के हालात के हिसाब से नाइट कर्फ्यू जैसे फैसले लेने के अधिकार होंगे, लेकिन केंद्र से चर्चा किए बगैर वे कंटेनमेंट जोन से बाहर लॉकडाउन का फैसला नहीं ले पाएंगे। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।
केंद्र सरकार के तीन नए कृषि बिल और प्रस्तावित इलेक्ट्रिसिटी बिल, 2020 के खिलाफ किसानों की गोलबंदी और रैली की गतिविधि तेज हो गई है. पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के हजारों किसानों ने 25 नवंबर, 2020 को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के लिए कूच कर दिया है. किसान संगठनों ने पहले से ही 26 नवंबर, 2020 को नए कृषि बिलों के विरुद्ध अपनी मांगों को लेकर दिल्ली चलो नारे के साथ एकत्र होने का ऐलान किया था. अब तक मिली जानकारी के अनुसार करीब 2 लाख से ज्यादा किसान समूचे भारत से दिल्ली चलो नारे के साथ आगे बढ़ रहे हैं.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
देशभर के मज़दूर और अन्य कामगार वर्ग 26 नवंबर को देशव्यापी हड़ताल की तैयारी कर रहे हैं. इस कड़ी में संघ समर्थित मज़दूर संगठन भारतीय मज़दूर संघ को छोड़कर सभी दस सेंट्रल ट्रेड यूनियन इस हड़ताल के समर्थन में हैं.ओडिशा में भी सभी सेंट्रल ट्रेड यूनियन, स्वतंत्र फेडरेशन और कर्मचारी यूनियन इस हड़ताल की तैयारी में लगे हुए थे. इस बीच 23 नवंबर सोमवार को विपक्ष के कड़े विरोध के बीच, ओडिशा सरकार ने आवश्यक सेवा (रख-रखाव) अधिनियम (एस्मा ) संशोधन विधेयक विधानसभा में पारित कर दिया, जिसमें हड़ताल करने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
संसद की एक समिति ने कोरोना महामारी के कारण स्वास्थ्य पर अप्रत्याशित खर्च के चलते कई परिवारों के गरीबी रेखा से नीचे जाने की संभावनाओं को लेकर चिंता जाहिर की है. संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि लॉकडाउन के दौरान हॉस्पिटल के कई विभागों को बंद करने के कारण स्वास्थ्य सुविधाएं काफी प्रभावित हुई हैं और इसका सबसे ज्यादा खामियाजा महिलाओं को उठाना पड़ा है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
देश की अधिकांश सार्वजनिक औद्योगिक ईकाईयों के अलावा अनेक छोटे बड़े निजी उद्योग संस्थानों से भरे झारखंड प्रदेश में आगामी 26 नवंबर को होने वाली देशव्यापी मजदूर–हड़ताल को सफल बनाने की तैयारियां ज़ोरों पर हैं. झारखंड महासचिव शुभेन्दु सेन कहते हैं कि झारखंड और देश के मजदूरों को जो बार-बार हड़ताल पर जाने की जो नौबत आ रही है इसके लिए सिर्फ और सिर्फ केंद्र की केन्द्र सरकार ज़िम्मेवार है. जिसने देश के हर तबके के साथ साथ मजदूर वर्ग के लिए तबाही ढाने वाली नीतियाँ थोपने का सिलसिला चला रखा है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।