कोरोना वायरस महामारी के कारण दुनियाभर में स्थिति बिगड़ी हुई है. भारत में इस महामारी का असर लगातार बढ़ रहा है और ऐसे में कई तरह की पाबंदियां अभी तक जारी हैं. स्कूल-कॉलेजों का शुरू न होना भी इनमें से एक है. इसके चलते फिलहाल सभी जगह ऑनलाइन पढ़ाई जारी है. हालांकि, हर परिवार बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई सुनिश्चित करने में सक्षम नहीं है और ऐसा ही कुछ हिमाचल प्रदेश में हुआ हैं, जहां एक गरीब परिवार को बच्चों की पढ़ाई के लिए अपनी गाय बेचनी पड़ी. किसान कुलदीप कुमार गांव में एक छोटे से मकान में रहते हैं। सुनने के लिए ऊपर के ऑडियो पर क्लिक करें।
कोरोना से जूझते बिहार में एक बार फिर सालाना मुसीबत यानि बाढ़ ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है. राज्य के 10 जिले बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं और क्षेत्र के लगभग 6 लाख 36 हजार लोगों को रहने के लिए नया ठिकाना तलाश करना पड रहा है। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।
कोरोना संक्रमण से प्रभावित होते बिहार राज्य में लॉकडाउन जारी है. सरकार के पास इसके अलावा और कोई चारा नहीं है, जिससे संक्रमण को फैलने से रोका जा सके. खुद सरकार ने पहले संक्रमण फैलाने का सारा ठीकरा प्रवासी मजदूरों के सिर फोड़ा था पर अब नीतिश सरकार की नाकामी नजर आने लगी है। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।
कोरोना महामारी के बीच उत्तर प्रदेश में गेहूं की सरकारी खरीद के लिए रजिस्ट्रेशन कराएं 1.30 लाख से ज्यादा किसानों से खरीदी नहीं की गई है. ये स्थिति ऐसे समय पर है जब राज्य सरकार खरीदी लक्ष्य के बराबर ही गेहूं नहीं खरीद पाई है और राज्य में गेहूं के बाजार मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे चल रहे थे. उत्तर प्रदेश सरकार ने रबी-2020 खरीद सीजन में कुल 55 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा था, लेकिन सरकार इसमें से 35.76 लाख टन गेहूं ही खरीद पाई है, जो कि लक्ष्य की तुलना में करीब 20 लाख टन कम है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पत्र लिखकर वॉल्व लगे एन-95 मास्क पहनने को लेकर चेतावनी जारी की है. सरकार ने कहा कि ये मास्क वायरस को फैलने से नहीं रोकते और वायरस की रोकथाम को लेकर उठाए गए कदमों के लिए विपरीत हैं। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
कोरोना काल ने पूरी दुनिया के जीवन को काफी हद तक बदल दिया है. लेकिन सबसे ज्यादा और दूरगामी असर हुआ है तो वो है शिक्षा पर. खासतौर पर भारत जैसे देश में, जहां आज तक कई गांवों में बिजली और पानी जैसी बुनियादी व्यवस्थाएं नहीं हैं. वहां ऑनलाइन शिक्षा कितनी कारगर होगी?विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
बच्चों के अधिकारों के लिए कार्यरत गैर सरकारी संगठन ‘वर्ल्ड विजन एशिया पैसिफिक’ ने अपने सर्वेक्षण में दावा किया है कि एक अप्रैल से लेकर 15 मई तक के बीच 24 राज्यों और दो केंद्रशासित प्रदेशों में करीब 55 फीसदी परिवार दिन में महज दो वक्त का खाना ही जुटा पाए. देश में 5,568 परिवारों पर किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्लूएचओ ने यू—टर्न लेते हुए कहा है कि लक्षण विहीन कोविड-19 मरीजों को आइसोलेशन या क्वारंटीन में रहने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि उनसे वायरस नहीं फैलता। ऑल्ट न्यूज़ ने जब इस तथ्य की जांच की तो पता चला कि किसी ने डब्लूएचओ के वीडियो के साथ छेडछाड कर उसे भ्रामक बना दिया है। सुनने के लिए ऊपर के ऑडियो पर क्लिक करें।
केंद्र सरकार ने इस बार रबी-2020 सीजन में 20 राज्यों से दालें एवं तिलहन खरीदने की योजना बनाई थी, लेकिन आलम ये है कि नौ राज्यों ने खरीदी ही शुरू नहीं की और यहां पर एक भी किसान का रजिस्ट्रेशन नहीं किया गया. वहीं बाकी के 11 राज्यों एक या दो उपज के लिए ही रजिस्ट्रेशन कराया गया और इसमें से भी सभी किसानों से खरीदी नहीं की गई है. आपको बता दें कि रजिस्ट्रेशन कराने वाले 11.50 लाख से ज्यादा किसानों से खरीदी नहीं की गई है। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।
कोरोना वायरस के चलते लागू किए गए लॉकडाउन के कारण देश की एक बहुत बड़ी आबादी को खाद्यान्न संकट का सामना करना पड़ रहा है. बच्चे भी इन तकलीफों से अछूते नहीं हैं. इस बीच उत्तर-पूर्व के राज्य मिजोरम के बच्चों को मिड-डे मील के तहत अप्रैल से लेकर जून तक खाना पकाने की राशि अभी नहीं मिली है। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।