कोविड-19 एक ऐसी महामारी जिसने करीब-करीब दुनिया के हर इंसान को प्रभावित किया है. ऐसा ही कुछ बिजली के मामले में भी हुआ है, जोकि आज हर व्यक्ति की जरुरत बन चुकी है. अनुमान है कि इस महामारी के चलते 2020 में करीब 3 करोड़ लोग अपना बिजली का बिल भर पाने में असमर्थ रहे थे। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

देश में कोरोना संक्रमण का संकट अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है. इस बीच सोशल मीडिया पर अफवाहों का बाजार भी गरम हो गया है. सोशल मीडिया पर अब जानलेवा महामारी को लेकर नया दावा सामने आया है. कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस एक सीजनल वायरस है, इससे बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग और आइसोलेशन की जरूरत नहीं है। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में 9.2 लाख से ज्यादा बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं, जिनमें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में और फिर बिहार में हैं. ये आंकड़े उन चिंताओं पर खास तौर पर जोर डालते हैं कि कोविड-19 वैश्विक महामारी गरीब से गरीब तबके के लोगों के बीच स्वास्थ्य एवं पोषण के संकट को और बढ़ा सकती है। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि अब 18 से 44 साल के आयु वर्ग के लोगों के टीकाकरण के लिए भी राज्यों को टीका मुफ्त में उपलब्ध कराया जाएगा और अगले दो सप्ताह में इससे जुड़े दिशानिर्देश तय कर लिए जाएंगे. पूरे देश में सभी लिए के मुफ्त टीकाकरण 21 जून से शुरू होने की उम्मीद है। इस खबर को सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

कोरोना के खिलाफ वैक्सीनेशन अभियान जारी है. परिणामस्वरूप जिन हिस्सों में ज्यादा लोगों का टीकाकरण हुआ है, वहां पर कोरोना संक्रमण की रफ्तार भी कम होनी शुरू हो गई है. देश में 3 कोरोना वैक्सीन - कोविशील्ड, कोवैक्सिन और रूस के स्पुतनिक वी लगाई जा रही हैं। पूरी खबर सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

महामारी ने भारत की स्वास्थ्य प्रणाली को बुरी तरह बेनकाब कर दिया है. शहरों से ज्यादा गांवों के हालात चिंताजनक बने हुए हैं. इस बीच स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट एन फिगर्स 2021 रिपोर्ट में गांवों के हालातों पर बात की गई है.रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि अगर कोरोना की तीसरी लहर आने से पहले गांवों के स्वास्थ्य प्रणाली को बेहतर नहीं किया गया तो बहुत बुरे परिणाम भुगतने होंगे। पूरी खबर सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

व्हाट्सएप और सरकार के बीच गाइडलाइन को लेकर चल रहे विवाद के बीच सोशल मीडिया पर एक मैसेज वायरल हो रहा है. मैसेज में एक के बाद एक कई दावे किए जा रहे हैं. उन्हें में से एक है कि अब सरकार व्हाट्सएप के हर मैसेज की मॉनिटरिंग करेगी.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

प्रख्यात अर्थशास्त्री, ज्यां द्रेज़ और अनमोल सोमांची ने कोरोनावायरस के संकट से भारत में लोगों की खाद्य सुरक्षा, रोजगार, आय, घरेलू खर्च और पोषण स्तर पड़े प्रभावों का विश्लेषण करते हुए एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की है. जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि तमाम सरकारी दावों के बीच 2020 के अप्रैल से मई के बीच की अवधि के दौरान देश में एक अभूतपूर्व खाद्यान्न संकट की स्थिति बनी हुई थी। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

बिहार के नवादा, मुंगेर, कटिहार, पूर्वी चंपारण, सीवान, पटना आदि दर्जनों जिलों में आशा कार्यकर्ताओं और रसोईयों ने धरना देकर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को मांग पत्र भेजा. आशा कार्यकर्ताओं ने कहा कि कोरोना काल की ड्यूटी हमसे बिना बेहतर मेडिकल सुरक्षा इंतजाम के ली जा रही है और पारिश्रमिक के बतौर कोरोना भत्ता 1000 रुपए दिए जा रहे हैं। इस खबर को सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि 29 मई तक राज्यों की ओर से प्रदान किए गए आंकड़ों के मुताबिक 9,346 ऐसे बच्चे हैं, जो कोरोना महामारी के कारण बेसहारा और अनाथ हो गए हैं या फिर अपने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया है। इस खबर को सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।