कोविड महामारी के दौरान स्कूलों के बंद रहने के कारण बच्चों पर शारीरिक और मानसिक दोनों तरह का असर हुआ है. करीब दो सालों के इस अंतराल में उनकी शिक्षा और सीखने की प्रवृत्ति दोनों प्रभावित हुई हैं. दरअसल केंद्र सरकार की नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति पूरी तरह से डिजिटलीकरण शिक्षा पर आधारित है। पूरी खबर सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।
सोशल मीडिया और यूट्यूब पर आए दिन कुछ ना कुछ ऐसी खबर दिखाई जाती है. जिसे देखकर लोग भ्रम में फंस जाते हैं.जबकि उन खबरों की सच्चाई कुछ और ही होती है. अभी एक यूट्युब का वीडियो वायरल हो रहा है. जिसमें दिखाया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने पीएम लाडली योजना शुरू की है. लाडली योजना के तहत 1,600000 रुपए बांटे जा रहे हैं. इस योजना के तहत बेटियों को 16 लाख रुपए दी जा रही है. इस वीडियो को देखकर लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि सच्चाई क्या है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
सूखा प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली की ओर से जारी हालिया आंकड़ों को देखें तो भारत का पांचवां हिस्सा सूखे जैसी स्थिति का सामना कर रहा है. देखा जाए तो सूखे का सामना करने वाला यह क्षेत्र पिछले साल की तुलना में करीब 62 फीसदी ज्यादा है. गौरतलब है कि पिछले वर्ष इस अवधि के दौरान देश का करीब 7.86 फीसदी हिस्सा सूखे जैसी स्थिति का सामना कर रहा था.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
एनएचआरसी ने एक बयान में कहा कि स्वतंत्रता के 70 साल बाद भी बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए विभिन्न कानूनों और योजनाओं के बावजूद बाल मजदूरी और बच्चों की तस्करी का जारी रहना राज्य की मशीनरी पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगाता है. इसके साथ ही सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासकों से संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार संधि और बाल एवं किशोर श्रम संशोधन कानून, 2016 के प्रावधानों के अनुपालन में उठाए गए कदमों पर रिपोर्ट मांगी है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
देश के केवल आठ राज्यों ने ही अपने सभी स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा सुनिश्चित की है तथा मेघालय, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्य इस अभियान में बहुत पीछे हैं. संसद में हाल ही में पेश एक स्थायी संसदीय समिति की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है. संसदीय समिति ने इस स्थिति को देखते हुए शिक्षा मंत्रालय से 2021-22 के अंत तक हर शैक्षणिक संस्थान में नल से जल मिशन के तहत पाइप के जरिये सुरक्षित पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करने की सिफारिश की है.
कोरोना महामारी के इस दौर में वर्क फ्रॉम होम अब एक सामान्य बात हो गई है. देश में कई बड़ी कंपनियां अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम की सुविधाए दे रही है. लेकिन इन दिनों व्हाट्सऐप पर एक मैसेज तेजी से वायरल हो रहा है, मैसेज में यह कहा गया है कि कोरोना महामारी के प्रभावों को देखते हुए किंग ऑफ सैडोज कंपनी ने भारत सरकार के साथ गठजोड़ कर 2021 में पैसे कमाने का नया मॉडल तैयार किया है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
औद्योगिक इकाइयों में कार्यरत ऐसे कर्मी, जो अब तक पीएफ के दायरे में नहीं आते हैं, अब उन्हें भविष्य निधि कार्यालय से जोड़ा जाएगा. कार्यालय के अफसरों व कर्मियों की ओर से उद्यमियों से संवाद कर कर्मियों का पीएफ खाता तैयार कराया जाएगा.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
सोशल मीडिया पर एक खबर तेजी से वायरल हो रही है. वायरल खबर में दावा किया गया है कि कोरोना वायरस के इलाज के लिए सरकार प्रधानमंत्री रामबाण सुरक्षा योजना के तहत युवाओं को 4000 रुपए की आर्थिक मदद दे रही है. यह दावा सही है या गलत इसको लेकर अब सरकार की तरफ से जानकारी दी गई है. पीआई फैक्ट चेक ने इस दावे को फर्जी बताया है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
केंद्र सरकार में पिछले चार वर्षों के दौरान महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में 935 करोड़ रुपये का गबन हुआ है. यह आंकड़ा किसी निजी एजेंसी का नहीं, बल्कि ग्रामीण विकास मंत्रालय की ‘सोशल ऑडिट यूनिट’ द्वारा किये गए ऑडिट में सामने आया है. इतनी भारी-भरकम राशि की वित्तीय हेराफेरी में से महज एक फीसदी से अधिक यानी कि करीब 12.5 करोड़ रुपये ही वसूल किए जा सके हैं। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।
भारत को किसानों का देश कहकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल में 13 जनवरी 2016 से एक नई योजना ;प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना; के नाम पर शुरू की थी. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि प्रधानमंत्री ने इस योजना से कृषि पर आश्रित गरीब किसानों को फायदा तो नहीं पहुंचाया, बल्कि अपनी आंखों के सामने उन्हें खूब लूटवाया। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।