भारत में पोषाहार की स्थिति लगातार चिंता का विषय बनी हुई है. सन 2000 के मध्य में पोषाहार की मांग बढ़ने के अनुपात में खर्च की स्थिति को सुधारने की अल्प अवधि के बाद, इस मद में बजट आवंटन को एक तरह से रोक दिया गया है.अब देश के ज्यादातर हिस्सों में पोषाहार मानकों में भारी गिरावट आई है. इसका सीधा संबंध पोषाहार और स्वास्थ्य की देखभाल के लिए किए जाने वाले खर्च में कमी से है.