लॉकडाउन में जब शहरों में काम ठप्प हो गया तो करोड़ों प्रवासी मजदूरों ने पैदल ही अपने गांवों का रुख किया. उन्हें आसरा था कि कहीं ना सही तो कम से कम मनरेगा में काम मिल ही जाएगा. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत आवेदन करने वाले 9.8 करोड़ लोगों में से 8.2 करोड़ को अप्रैल से काम मिला है. लेकिन अरबों डॉलर से चलने वाली यह स्कीम भारत के 10 करोड़ प्रवासी मजदूरों में सबकी उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पा रही है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।