नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस के मुताबिक, 2012 के बाद से बेरोजगारी और घरेलू कर्ज में तेज़ वृद्धि हुई है. इससे देश के गरीबों के लिए जरूरी न्यूनतम जीवन स्तर बनाए रखना और मुश्किल हो गया. 2017-18 में देश की श्रम शक्ति का 3 करोड़ या 6.1 प्रतिशत हिस्सा बेरोजगार था. 2021 के वित्तीय वर्ष में, मंदी और मुख्य रूप से कोविड-19 के कारण अर्थव्यवस्था की हालत और बिगड़ रही है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।