कोविड-19 के कारण लंबे चले लॉकडाउन ने प्रवासी मजदूरों से उनका रोजगार छीन लिया. भूखे मरने की नौबत आ रही थी कि तभी मनरेगा ने उन्हें सहारा दिया. मार्च से जून, 2020 के बीच लॉकडाउन के विभिन्न चरणों के दौरान लाखो मजदूर पैदल या फिर किसी अन्य संसाधन से किसी तरह गांव पहुंचे थे पर इतने लोगों को मनरेगा में काम देना भी किसी चुनौती से कम नहींं। सुनने के लिए ऊपर के ऑडियो पर क्लिक करें।