हमारे श्रोता सुशील कुमार ने बताया कि जब किशोरियों को माहवारी आना शुरू हो जाता है तो यह सन्देश मिलता है कि वे माँ बनने के लायक हो गई हैं। लेकिन गांव में आज भी इसे छुआछूत माना जाता है।
हमारे श्रोता सुशील कुमार ने बताया कि जब किशोरियों को माहवारी आना शुरू हो जाता है तो यह सन्देश मिलता है कि वे माँ बनने के लायक हो गई हैं। लेकिन गांव में आज भी इसे छुआछूत माना जाता है।