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उच्च पेंशन का विकल्प चुनने वाले ग्राहकों के मूल वेतन के 1.16 फीसदी के अतिरिक्त योगदान का प्रबंधन कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) द्वारा संचालित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में नियोक्ताओं के योगदान से किया जाएगा।श्रम मंत्रालय ने कहा कि भविष्य निधि में नियोक्ताओं के कुल 12 फीसदी योगदान में से ही 1.16 फीसदी अतिरिक्त योगदान लेने का फैसला किया गया है। ईपीएफ और एमपी अधिनियम की भावना के साथ-साथ संहिता (सामाजिक सुरक्षा पर संहिता) कर्मचारियों से पेंशन कोष में योगदान की परिकल्पना नहीं करती है। वर्तमान में सरकार कर्मचारी पेंशन योजना में योगदान के लिए सब्सिडी के रूप में 15,000 रुपये तक के मूल वेतन का 1.16 फीसदी भुगतान करती है।ईपीएफओ द्वारा संचालित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में नियोक्ता मूल वेतन का 12 फीसदी योगदान करते हैं।नियोक्ताओं के 12 फीसदी के योगदान में से 8.33 फीसदी ईपीएस में जाता है और शेष 3.67 प्रतिशत कर्मचारी भविष्य निधि में जमा किया जाता है।अब वे सभी ईपीएफओ सदस्य जो उच्च पेंशन प्राप्त करने के लिए 15,000 रुपये प्रति माह की सीमा से अधिक अपने वास्तविक मूल वेतन पर योगदान करने का विकल्प चुन रहे हैं, उन्हें ईपीएस के लिए इस अतिरिक्त 1.16 फीसदी का योगदान नहीं करना होगा।श्रम और रोजगार मंत्रालय ने उपरोक्त (निर्णय) को लागू करते हुए 3 मई, 2023 को दो अधिसूचनाएं जारी की हैं।मंत्रालय ने कहा कि अधिसूचना जारी किए जाने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के 4 नवंबर, 2022 के फैसले के सभी निर्देशों का अनुपालन पूरा कर लिया गया है।दरअसल, शीर्ष अदालत ने अधिकारियों को छह महीने की अवधि के भीतर योजना में आवश्यक समायोजन करने का निर्देश दिया था। 2014 में योजना में किए गए संशोधन के अनुसार, कर्मचारियों को 15,000 रुपये प्रति माह से अधिक वेतन पर 1.16 प्रतिशत का अतिरिक्त योगदान करने की आवश्यकता होगी।साथयों,क्या आप वर्तमान पेंशन व्यवस्था से संतुष्ट हैं ? पेंशन में सुधार के लिए आप का क्या सुझाव है ?अपनी बात हम तक पहुंचाने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.
सोशल मीडिया पर जहाँ कई जरुरी जानकारियां मिलती है वहीं भ्रामक खबरों की भी भरमार रहती है। ऐसा ही एक खबर इन दिनों काफी वायरल हो रहा है। यूट्यूब चैनल के एक वीडियो में दावा किया जा रहा है कि केंद्र की मोदी सरकार जिनके परिवार में बेटियां हैं उन्हें 'कन्या सुमंगला योजना' के तहत हर महीने ₹4,500 रुपये दे रही है। ऐसे में इसका लाभ पाने के लिए आज ही आवेदन करें। यह दावा सरकारी व्लॉग [Sarkari Vlog ] नामक यूट्यूब चैनल के एक वीडियो में किया गया है। वायरल इस खबर की सच्चाई जब पीआईबी की तरफ से जांची और परखी गई तो पाया गया कि यह खबर फेक हैं एवं सच्चाई से इस खबर का कोई वास्ता नही है। जिसके बाद पीआईबी ने ट्वीट कर के कहा गया कि सरकार की तरफ से इस तरह की कोई योजना नहीं है। ऐसे में इस तरह की खबरों पर भरोसा ना करें। साथियों अगर आपके पास भी ऐसा कोई भ्रामक ख़बर आता है,तो उसके बारे में जनता को जागरूक करें. अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.