मोबाइल वाणी और नेटिव पिक्चर की संयुक्त मुहिम कुएं बचाओ की इस कड़ी में सुनिए चंपारण के लोगों की आपबीती... जानिए कैसे खराब पानी के कारण गांव के पांच फीसदी लोगों को कैंसर की बीमारी हो गई है!
जैसे—जैसे गर्मी अपने चरम पर आ रही है, देश के अलग—अलग हिस्सों में पानी की किल्लत होने लगी है. लेकिन उससे भी ज्यादा, कुछ अहम है तो वह है साफ पानी. हमारी पिछली कड़ियों से आप ने इतना तो जान ही लिया है कि चंपारण के लोग अब बोरवेल से पानी पीने की बजाए कुओं पर जाने लगे हैं. क्योंकि कुओं के पानी में आर्सेनिक और आयरन की मात्रा बहुत कम होती है और यह कई गंभीर बीमारियों को रोकने में कारगर है. हमने यह भी जान लिया कि ग्रामीण कैसे पानी की गुणवत्ता की जांच करते हैं? तो आज की कडी में क्या होगा खास.... जानने के लिए सुनिए नेटिव पिक्चर संस्था और ग्रामवाणी की संयुक्त पहल से तैयार खास कार्यक्रम
हमारी परंपराओं में ऐसी कई प्रथाएं शामिल हैं जिनके विज्ञान ने अपने ही तर्क दिए हैं. गौर किया जाए तो हमारी हर प्रथा विज्ञान से प्रभावित है. ऐसी ही प्रथा है पानी तोड़ना. तो चलिए जानते हैं ग्रामीण कैसे निभाते हैं यह प्रथा और जांचते हैं पानी की गुणवत्ता.. ग्रामवाणी और नेटिव पिक्चर की खास पेशकश..
आपको याद कि आखिरी बार कुएं के आसपास कब गए थे? शायद बचपन में... हममें से कई लोग तो ऐसे भी होंगे जिन्होंने कुएं देखे तो हैं पर सूखे... लेकिन चंपारण के लोगों को कुओं के महत्व के बारे में ऐसी जानकारी मिली है कि अब वे फिर से गांव में कुओं का निर्माण करने में लगे हैं... क्या आप नहीं जानना चाहेंगे वो खास बात? सुनिए ग्रामवाणी और नेटिव पिक्चर की यह खास पेशकश..
चंपारण, यहां के प्राकृतिक नजारे जितने खूबसूरत हैं उससे कहीं ज्यादा समृद्ध है यहां का इतिहास. चंपारण वह धरती है जहां भारत महात्मा गांधी ने 1917 में किसानों को शोषण से मुक्त करवाने के लिए सत्याग्रह शुरू किया था और यह जगह ऐतिहासिक हो गई. लेकिन दशकों बाद एक बार फिर चंपारण नए सत्याग्रह के लिए तैयार है. क्या आप नहीं जानना चाहेंगे कि यह कौन सा सत्याग्रह है...? सुनिए और हिस्सा बनिए नेटिव पिक्चर संस्था और ग्रामवाणी की संयुक्त मुहिम का