दोस्तों, दिल्ली समेत देश के कई दूसरे राज्यों में लॉकडाउन की अवधि को बढ़ा दिया गया है. केन्द्र सरकार ने लॉकडाउन को आखिरी विकल्प के तौर पर रखा है पर राज्यों में कुछ छूट के साथ लॉकडाउन और कोरोना कर्फ्यू लगाया जा रहा है. जाहिर सी बात है कि इससे जनता की भलाई होगी पर समाज का एक वर्ग वो भी है जो रोजाना काम करता है और दैनिक मजदूरी से पेट भरता है. लॉकडाउन के कारण उनका जीवन ज्यादा प्रभावित हो रहा है. जब हम ये मसला लेकर लोगों के बीच गए तो लॉकडाउन को लेकर मिली जुली प्रतिक्रिया मिली, आइए सुनते हैं..

कोरोना की वैक्सीन आ चुकी है, देश में टीकाकरण भी शुरू हो गया है. लॉकडाउन खत्म हुए काफी वक्त गुजर गया पर हालात अभी भी ठीक होते दिखाई नहीं दे रहे. खास तौर पर मजदूर और बेरोजगार युवाओं के लिए. जो लोग रोजी रोटी की तलाश में अपना गांव छोड़कर शहर आए थे उन्हें कोरोना काल में पैदल मीलों का सफर कर गांव जाना पड़ा. सरकार ने वायदा किया था कि उन्हें गांव में ही रोजगार के साधन उपलब्ध करवाए जाएंगे.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर। 

साथियों क्या आप जानते है कि जल संरक्षण से सम्बंधित काम जैसे तालाब,कुओं व नलकूप की खुदाई ,बरसात के पानी को जमा करना ये सब भी मनरेगा के तहत आता है? इसके अलावा सूखे की रोकथाम अंतर्गत वृक्षारोपण ,सरकारी भवनों,सार्वजनिक स्थानों ,स्कूल आदि में उद्यानों का निर्माण ,खेत के आसपास वृक्षारोपण ,बाढ़ नियंत्रण के तहत मेढ़ बनाना ,बांध निर्माण और आवास निर्माण आदि भी मनरेगा मज़दूरों के काम है। इसलिए आपके गांव या पंचायत में ऐसे कोई भी कार्य हो रहे है तो आप वहाँ अपने लिए रोज़गार की मांग कर सकते है। इसके लिए आपको अपने क्षेत्र में पंचायत कार्यालय जाकर पंजीयन करवाना होगा। मनरेगा के तहत पंचायत स्तर पर हर बुधवार को रोज़गार दिवस का आयोजन करना अनिवार्य है। अगर ऐसा नहीं होता है ,तो मज़दूर साथी अपने सरपंच से रोज़गार दिवस आयोजन करने की मांग करें

दोस्तों, अगर आपके गांव की पंचायत मनरेगा के तहत रोजगार दिवस आयोजित नहीं कर रही है, तो ये आपका अधिकार है.. आप अपने गांव के मुखिया से गांव में हर बुधवार को रोजगार दिवस आयोजित करने की मांग कर सकते हैं. ज्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें

Transcript Unavailable.