भारत में रोजगार सृजन एक बड़ी समस्या के रूप में तब्दील हो रहा है. एक नई रिपोर्ट के अनुसार अब बड़ी संख्या में लोगों ने काम की तलाश ही बंद कर दी है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई की एक निजी रिसर्च कंपनी सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के नए आंकड़ों के मुताबिक, सही नौकरी नहीं ढूंढ पाने से हताश लाखों भारतीय विशेष रूप से महिलाएं पूरी तरह से श्रमबल से बाहर हो गई हैं.

वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद की जांच से पता चलता है कि गरीबों और सशस्त्र बलों को दाल उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार की 4,600 करोड़ रुपये से अधिक की नीलामी में कुछ बड़े मिल मालिकों को फायदा पहुंचाने के लिए धांधली की गई थी. परिषद ने भारत में दालों और अन्य वस्तुओं के मूल्य स्थिरीकरण पर नजर रखने वाली एक समिति के समक्ष अपने शुरुआती निष्कर्ष पेश किए हैं.

छत्तीसगढ़ में मनरेगा कर्मचारी अपनी दो सूत्रीय मांगों को लेकर पिछले 17 दिनों से हड़ताल पर हैं. मनरेगा महासंघ के बैनर तले वे 4 अप्रैल से हड़ताल कर रहे हैं. प्रदेशभर में मनरेगा कर्मी नियमितीकरण एवं रोजगार सहायकों का वेतनमान निर्धारण करने तथा मनरेगा कर्मियों पर सिविल सेवा नियम 1966 के साथ पंचायत कर्मी नियमावली लागू करने की मांग को लेकर हड़ताल कर रहे हैं.

भारत सरकार के श्रम मंत्रालय ने बिना कोई कारण बताए पिछले माह अचानक सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सूचित कर दिया कि एनसीएलपी को 31 मार्च 2022 के बाद से नहीं चलाया जाएगा और इसे केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा संचालित समग्र शिक्षा अभियान में समाहित कर दिया जाएगा. योजना के तहत 9 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को खतरनाक व्यवसायों में काम करने पर रोक लगाई गई थी.

सोशल मीडिया पर एक फर्जी लकी ड्रॉ तेजी से वायरल हो रहा है. इसमें लोगों को पर्सनल डिटेल्स शेयर करने के बदले में 6,000 रुपये जीतने के चांस की पेशकश की जा रही है. दावा किया जा रहा है कि इस लकी ड्रॉ को भारतीय डाक चला रहा है. लेकिन यह हकीकत नहीं है। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

हरियाणा के सोनीपत के जिला आयुक्त कार्यालय और आसपास के अन्य स्थानों पर हाल के चार महीनों में ‘पक्का काम कच्ची नौकरी नहीं चलेगी, नहीं चलेगी’ और ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ का नारा झूठा है’ की नारेबाजी सुनाई दे रही थी

केंद्र सरकार की तरफ से 2 लाख 67 हजार रुपये वाला एक मैसेज कई लोगों के इनबॉक्स में आया है. लोग हैरान हैं कि सरकार आखिर ऐसी कौन सी योजना चला रही है, जिसमें लोगों को सीधे खाते में करीब पौने तीन लाख रुपये मिल रहे हैं. इस तरह के एसएमएस काफी लोगों के पास गए हैं। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

कोरोना महामारी ने सामान्य जिंदगी को कई तरीकों से प्रभावित किया है. इसके असर से कई चीजें अब कभी पहले की तरह शायद नहीं हो पाएंगी. इसने छोटे बच्चों की देखभाल, स्कूल, क्रेच या आंगनवाड़ी केंद्रों में उनकी मौजूदगी जैसी चीजों पर रोक लगा दी थी. एक ताजा सर्वेक्षण में पाया गया कि मार्च 2020 में लगाए गए लॉकडाउन के बाद आंगनवाड़ी केंद्रों से जुड़ी पोषण सेवाओं में गतिरोध अभी भी बरकरार है.

बीते दो सालों में महामारी के चलते हमने भारत के कोने-कोने में ऐसे ही मजदूरों का एक विशाल पलायन देखा. मजदूरों की स्थिति ने उस सच्चाई की परत को उखाड़ दिया जो शायद किसी चोट पर सूख कर जमी हुई खाल की तरह अंदरूनी चोट को छिपा रही थी.

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने मीडिया घरानों से देश के विभिन्न हिस्सों में सांप्रदायिक अशांति की घटनाओं की रिपेार्टिंग करते समय अत्यधिक संयम बरतने तथा ध्रुवीकरण के बड़े खेल में मोहरा नहीं बनने की अपील की. गिल्ड ने यहां जारी एक बयान में कहा कि वह इस बात पर गौर करके निराश है कि समुदायों के बीच संघर्ष की खबरों के मूल्यांकन एवं प्रस्तुति में उचित सावधानी का अभाव पाया गया है.