21वीं सदी की शुरुआत से ही पूरी दुनिया में सूखे का पड़ना और उसके टिके रहने का समय बढ़ता जा रहा है।मरुस्थलीकरण का मुकाबला करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन के चल रहे देशों के सम्मेलन में ‘ड्राउट इन नंबर्स 2022’ नाम की रिपोर्ट जारी की गई। पिछले 122 सालों में 196 देशों में लोगों के जीवन और उनकी आजीविका पर सूखे के असर का आकलन यह कहता है कि एक पूरी पीढ़ी पानी की कमी को देखते हुए बड़ी हो रही है। इस आकलन में भारत को ऐसे देशों में रखा गया है, जो सूखे का भयंकर रूप से शिकार हैं।