उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि महिलाएं पितृसत्तात्मक मानसिकता के अधीन हैं, जो उन्हें प्राथमिक देखभाल करने वाली एवं गृहिणी के रूप में देखती है और इस तरह उन पर पारिवारिक जिम्मेदारियों का एक असमान दायित्व है. शीर्ष अदालत ने कहा कि सरकार को वास्तविक समानता हासिल करने का सही उद्देश्य कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ होने वाले लगातार भेदभाव के पैटर्न को पहचानकर पूरा करना चाहिए.