सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यूयू ललित ने कहा कि सतत विकास के मानकों के अनुसार भारत में शिक्षा के मामले में अभी भी कमी है, क्योंकि देश ने समावेशी शिक्षा का लक्ष्य हासिल नहीं किया है. उन्होंने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि क्या सरकारी स्कूल किसी भी नागरिक के लिए अपने बच्चे को भेजने के लिए पहली पसंद हैं या यह निजी क्षेत्र का स्कूल है, जिसे पहली पसंद माना जाता है? हमारी शिक्षा समावेशी नहीं है. कुछ गांवों और बड़े शहरों में जो शिक्षा प्रदान की जाती है, उनकी गुणवत्ता में कोई अंतर नहीं है. हमें इन सब पर विचार करना चाहिए. जब तक हम इसे हासिल नहीं कर लेते, सतत विकास मानकों के अनुसार शिक्षा के मामले में हम कमजोर रहेंगे.