राजद्रोह पर औपनिवेशिक काल के विवादित दंडात्मक कानून के तहत 2014 से 2019 के बीच 326 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से महज छह लोगों को सजा दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते आईपीसी की धारा 124 ए का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए केंद्र से पूछा था कि आजादी के 75 साल बाद इसे बनाए रखना क्यों जरूरी है, जबकि अन्य पुराने कानूनों को निरस्त कर रहे हैं। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।