नमस्कार आप हैं अपने साथी सुल्तान अहमद के साथ , साथी मैं आप से अपने दिल का बोझ हल्का करने आया हूँ , हम सब गवाह हैं 14 फ़रवरी को पुलवामा के फिदयिनी हमले की जिसमे IED के इस्तेमाल से बिस्फोट और के बाद पसरे मंजर ने न केवल 40 सी आर पी एफ जवानों की जान ली बल्कि एक बार फिर इंसानियत को शर्मसार किया . हमारे देश के युवा जो मुख्यतः ग्रामीण या छोटे शहरों से आते हैं ,अपनी जी जान लगा देते हैं अपने देश को बचने के लिए और यह मुख्यतः मजदूर,किसान, भूमि हीन किसानों, खेतिहर मजदूरों, रिक्सा चालकों, ड्राइवरों, ठेले वाले के बेटे होते हैं, अपनी जिंदगी देश की रक्षा के लिए न्योछावर करते हैं , अपने मुल्क को माशूक की तरह मोहब्बत करने का जज्वा ही सियाचिन और कारगिल की घाटियों में अनेकों परेशानियों का सामना करते हुए अपनी जिंदगी दाव पर लगाकर हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं. तीन दिनों से टीवी देखते हुए कई बार आँखें नम हुयी , दिल भर आया उनके परिवार की विरह सुन और देख कर , एक एहसास यह भी हुआ जो सेना के जवान देश की रक्षा और सुरक्षा के लिए अपनी जान , लहू का हर कतरा अपने देश के लिए कुर्बान करने से कभी पीछे नहीं हटते , वह अपने बच्चे , पत्नी , पिता ,माता , भाई , बहन के सुरक्षित जीवन के लिए जरूरतों को पूरा करने में असर्मथ है, परिवार के लोग तंगी में जीवन जीने को मजबूर ,यहाँ तक की उनके पास इतना भी धन नहीं की वह सुरक्षित महसूस करें की उनके हर दिल अज़ीज़ – चिराग को कुछ हो जाये तो वह क्या करेंगे , कैसे अपने आगे की जिंदगी गुजर करेंगे , बच्चों की शिक्षा, बीमार मान के इलाज़ , पिता के बुढ़ापे की लाठी कैसे मजबूत होगी . यह भी सच है की इस घटना के बाद अनेकों संस्थाएं , अधिकारीयों , व्यक्तियों ने अपनी जान गंवाए जवानों के परिवार के आर्थिक सहायता के लिए अपना हाथ बढाया . क्यों हम और आप को ऐसा नहीं लगता की सरकार से यह मांग की जाए की इन जवानों के परिवारों की सुरक्षा , शिक्षा , स्वस्थ्य , आवास के लिए वार्षिक बजट में आर्थिक आवंटन हो ताकि यह परिवार सुरक्षित महसूस करे. करने से हमारे देश के युवा और तैयार होंगे पड़ोसी मुल्क या किसी भी आतंकी से लड़ने और मुल्क की हिफाज़त के लिए, ना केवल सेना में तैनात जवान बल्कि इनके परिवार इन को मानसिक तौर पर अपना सहयोग देंगे मुंहतोड़ जवाव देने के लिए. हम इस घटना की भावना से नहीं बोल रहे हैं बल्कि उनके परिवारों के तकलीफ को हमने लंबे समय से काम करते हुए गावों और शरों से मोबाइल वाणी पर लाकर अपने श्रोताओं को अवगत कराया है . इसलिए हम चाहते हैं कि अगर हमारे- आपके सेना के जवानों के लिए जज्बातों में ईमानदारी है तो अर्धसैनिक बल के पेंशन की लड़ाई लड़ लीजिए. वह ठेले वाले, टैंपू वाले, किसान और मजदूरों के घर से आते हैं. वह आ रहे हैं तीन मार्च को दिल्ली – आप भी अपनी-अपनी राष्ट्रभक्ति का इम्तिहान दे दीजिए उनके साथ खड़े होकर. हम इनके साथ खड़े होकर भी देश भक्ति की कहानी लिखेंगे – न केवल टी वी चैनलों पर भडकाव भासन देकर, भडकाव भासन से उन्माद फैलता है ना की सेना के जवानों को सुरक्षा और न ही देश को रक्षा. नेताओं के भाषण तो हम सुनते ही रहते हैं और बाद में भी सुन लेंगे – लेकिन इनकी मांग के लिए साथ लड़ना ही असल देश भक्ति होगी – आपका साथ ये भी दिखायेगा की आप कितना देश के जवानों के साथ , और उनकी जायज़ मांगों के साथ खड़े हैं . #मोबाइल वाणी की पहल बदलाव के लिए .