बिहार राज्य के नालंदा जिला के चंडी प्रखंड से निर्मला कुमारी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से अनिल से जल जीवन मिशन के बारे में साक्षत्कार लिया। बातचीत सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें और सुनें पूरी बात ।

नासिक में रहने वाली मयूरी धूमल, जो पानी, स्वच्छता और जेंडर के विषय पर काम करती हैं, कहती हैं कि नासिक के त्र्यंबकेश्वर और इगतपुरी तालुका में स्थिति सबसे खराब है। इन गांवों की महिलाओं को पानी के लिए हर साल औसतन 1800 किमी पैदल चला पड़ता है, जबकि हर साल औसतन 22 टन वज़न बोझ अपने सिर पर ढोती हैं। और ज्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें।

बिहार राज्य के नालंदा जिले से रिंकू कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती है की बिहार में मनरेगा मजदूरों को उचित मजदूरी नहीं मिलता है मजदुर काम भी बहुत करते हैं अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें और पूरी जानकारी सुनें

''बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" के नारे से रंगी हुई लॉरी, टेम्पो या ऑटो रिक्शा आज एक आम दृश्य है. पर नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च द्वारा 2020 में 14 राज्यों में किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि योजना ने अपने लक्ष्यों की "प्रभावी और समय पर" निगरानी नहीं की। साल 2017 में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में हरियाणा में "धन के हेराफेरी" के भी प्रमाण प्रस्तुत किए। अपनी रिपोर्ट में कहा कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ स्लोगन छपे लैपटॉप बैग और मग खरीदे गए, जिसका प्रावधान ही नहीं था। साल 2016 की एक और रिपोर्ट में पाया गया कि केंद्रीय बजट रिलीज़ में देरी और पंजाब में धन का उपयोग, राज्य में योजना के संभावित प्रभावी कार्यान्वयन से समझौता है।

बिहार राज्य के नालंदा जिले के नगरनौसा प्रखंड से रिंकू कुमारी ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि इनको विश्वकर्मा योजना के अंतर्गत मिलने वाले लोन की विस्तृत जानकारी चाहिए

बिहार राज्य के नालंदा जिले से शिला कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही है महिलाये बिहार में मनरेगा के काम में पीछे है महिलाएं भाग लेती हैं लेकिन आगे नहीं बढ़ पाती हैं अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें और पूरी जानकारी सुनें

महिलाओं की लगातार बढ़ती हिस्सेदारी और उसके सहारे में परिवारों के आर्थिक हालात सुधारने की तमाम कहानियां हैं जो अलग-अलग संस्थानों में लिखी गई हैं, अब समय की मांग है कि महिलाओं को इस योजना से जोड़ने के लिए इसमें नए कामों को शामिल किया जाए जिससे की ज्यादातर महिलाएं इसका लाभ ले सकें। दोस्तों आपको क्या लगता है कि मनरेगा के जरिए महिलाओँ के जीवन में क्या बदलाव आए हैं। क्या आपको भी लगता है कि और अधिक महिलाओं को इस योजना से जोड़ा जाना चाहिए ?

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मनरेगा में भ्रष्टाचार किसी से छुपा हुआ नहीं है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा दलित आदिवासी समुदाय के सरपंचों और प्रधानों को उठाना पड़ता है, क्योंकि पहले तो उन्हें गांव के दबंगो और ऊंची जाती के लोगों से लड़ना पड़ता है, किसी तरह उनसे पार पा भी जाएं तो फिर उन्हें प्रशासनिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस मसले पर आप क्या सोचते हैं? क्या मनरेगा नागरिकों की इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम हो पाएगी?

बिहार राज्य के नालंदा जिले से रिंकू कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती हैं की ग्रामीण मजदुर को सरकारी योजना का लाभ सही से नहीं मिलता है अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें और पूरी जानकारी सुनें