हमारे समझ में आज भी यौन शोषण के बारे में एक अनचाही चुप्पी साध ली जाती है और पीड़ित व्यक्ति को ही कहीं न कहीं हर बात के लिए जिम्मेदर बना देने की प्रथा चली आ रही है। पर ऐसा क्यों है? साथ ही इस तरह के सामाजिक दबावों के अतिरिक्त और क्या वजह होती है जिसके लिए आज भी कई सारे यौन शोषण के केस पुलिस रिपोर्ट में दर्ज नहीं होते हैं ? समाज में फैले यौन शोषण के मानसिकता के लिए कौन और कैसे जिम्मेदार है ? और समाज से इस मानसिकता को हटाने के लिए तुरंत किन - किन बातों पर अमल करना जरुरी है ?
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नमस्कार /आदाब श्रोताओं। मोबाइल वाणी पर हमारे सहयोगी शनि जी ने वीमेन लैंड राइट्स यानि महिला भूमि अधिकार पर जन साहस संस्था के साथ काम करने वाली भावना दीदी से साक्षात्कार लिया।बातचीत के दौरान भावना दीदी ने बताया की कैसे उन्होंने कई महिलाओं को उनका अधिकार दिलवाया और साथ ही खुद की भी एक अलग पहचान कायम की।तो आइये सुनते हैं भावना दीदी के संघर्ष और सफलता की कहानी उन्हीं की जुबानी।
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बिहार राज्य के नालंदा ज़िला से शीला ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि लड़का लड़की में भेदभाव नहीं करना चाहिए। दोनों को एक सामान देखना चाहिए। जितना महत्व लड़कों को दिया जाता है उतना ही महत्व लड़की को दिया जाना चाहिए। अभी भी समाज में भेदभाव की सोच है। और यह सोच को बदलने की ज़रुरत है
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बिहार राज्य के जिला नालंदा से शीला कुमारी , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह पूछना चाहती है किलड़कियों में सफ़ेद पानी क्यों आता है। क्या यह एक बिमारी है