विरनो. समाजिक दृष्टि से पहले जमाने में लोग हुंका-तमाखू व गुण यानी भेली से अपने दरवाजे पर. आने वाले प्रिय मित्रों व मेहमानों का आव-भगत करते थे। अब इस आधुनिक युग में उसके जगह पर. बीड़ी.सुर्ती. गुटखा व चाय.बिस्कुट से लोगों का आव भगत हो रहा है। लेकिन क्षेत्र में कहीं-कहीं आज भी हुंका का प्रचलन है। यह दृश्य विरनो ब्लाक के सरदरपुर गाँव में समाजसेवी सुरेन्द्र चौहान के दरवाजे पर देखने को मिला। उनसे पूछे जाने पर बताया कि हुक्का पीना यह मेरा एक शौक है और यह कोई बड़ी नशा नहीं है।