टेक्सटाइल क्षेत्र में रोजगार की व्यापक संभावनाओं को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश को गारमेंट का हब बनाने की दिशा में प्रयास कर रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष राज्य में वस्त्र उद्योग क्षेत्र में रोजगार सृजन हेतु उ.प्र. को गार्मेंटिंग हब बनाने जाने के संबंध में रोडमैप का प्रस्तुतीकरण किया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि प्रदेश में टेक्सटाइल क्षेत्र में रोजगार की व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं। अपर मुख्य सचिव हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग श्री रमारमण ने प्रस्तुतीकरण करते हुए मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि वर्तमान में प्रदेश में गार्मेन्टिंग की लगभग साढ़े चार हजार औद्योगिक इकाइयां हैं। इनमें से लगभग 3000 इकाइयां गौतमबुद्धनगर तथा शेष 1500 इकाइयां गाजियाबाद, कानपुर, लखनऊ तथा बरेली में स्थित हैं। इनसे लगभग ₹22,000 करोड़ का प्रतिवर्ष निर्यात होता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 के कारण उत्पन्न परिस्थितियों के चलते जो कामगार/श्रमिक प्रदेश वापस लौटे, उनमें बड़ी संख्या में टेलरिंग एक्सपर्ट भी हैं। यूपी सरकार इन्हें रोजगार उपलब्ध कराने के लिए कटिबद्ध है। राज्य में वस्त्रोद्योग को बढ़ावा देना होगा, ताकि अधिक से अधिक रोजगार के अवसर सृजित हो सकें। राज्य में एयर और रोड कनेक्टिविटी लगातार बेहतर होती जा रही है। इससे वस्त्रोद्योग को काफी लाभ होगा। अगले पांच साल का खिंचा खाचा मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि अगले 05 वर्षों में ₹20,000 करोड़ के निवेश से 20 लाख रोजगार सृजन की सम्भावना है। जनपद गौतमबुद्धनगर के जेवर एयरपोर्ट के 50 कि.मी. की परिधि में तथा यूपीडा (उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण) द्वारा निर्मित किए जा रहे एक्सप्रेस-वे के किनारे प्रदेश के अन्य स्थानों पर कम से कम 05 अपैरल/गार्मेन्टिंग पार्कों की स्थापना के प्रयास किए जा रहे हैं। पार्कों की स्थापना के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अलावा, लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर, वाराणसी तथा झांसी मण्डलों में भी ऐसे पार्कों की स्थापना की जा सकती है। लाखों हाथ को मिला काम मुख्यमंत्री ने बताया कि अनलॉक की कार्यवाही प्रारंभ होने के पश्चात अब तक उत्तर प्रदेश में रह रहे और वापस लौटे श्रमिकों को सम्मिलित करते हुए, 95 लाख श्रमिकों को रोजगार, नौकरी एव स्वरोजगार से जोड़ने में सफलता मिली है। कृषि व उससे जुड़े क्षेत्रों में यह संख्या लगभग 60 लाख है। इसके अलावा, लगभग 35 लाख श्रमिकों/कामगारों को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम तथा अन्य बड़े उद्योगों से जोड़ा गया है। सरकार द्वारा 34 लाख कामगारों/श्रमिकों को ₹01-01 हजार का भरण-पोषण भत्ता उपलब्ध कराया गया।