आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने जलियांवाला बाग नरसंहार के शहीदों को सलाम किया ,साथ ही उन्होंने कहा है की उनकी बहादुरी और वीरता को कभी भुलाया नहीं जा सकता आज ही के रोज 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के पर्व पर पंजाब में अमृतसर के जलियांवाला बाग में ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर के नेतृत्व में अंग्रेजी सैनिकों ने गोलियां चलाकर बूढ़ों, महिलाओं, पुरुषों और बच्चों सहित सैकड़ों लोगों को गोलियों से मार डाला था. इस गोलीकांड में कई लोग घायल भी हो गए थे इसी लिए आज भी हर 13 अप्रैल को यह दिन अंग्रेजों के अत्याचारों को दर्शाता है उसने सैकड़ों लोगों को अंधाधुंध गोलीबारी कर मार डाला था. 13 अप्रैल 1919 की तारीख आज भी विश्व के बड़े नरसंहारों में से एक के रूप में दर्ज है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलियांवाला बाग नरसंहार के शहीदों को सलाम किया है, इतिहास के पन्नो में दर्ज गाथा -रविवार का दिन था और आस-पास के गांवों के अनेक किसान हिंदुओं तथा सिक्खों का उत्सव बैसाखी बनाने अमृतसर आए थे. लोगों ने नए कपड़े पहने थे और बच्चों के लिए तो मानो ये रविवार पिछले कई रविवार से बेहतर होने वाला था. लेकिन किसी को होने वाले हादसे का अंदाजा नहीं था. आपको बता दें, बैसाखी के दिन गोल्डन टेंपल में दर्शन के बाद धीरे-धीरे लोग जलियांवाला बाग में जुटने लगे. कुछ वक्त में हजारों की भीड़ इकट्ठा हो चुकी थी. यह बाग चारों ओर से घिरा हुआ था अंदर जाने का केवल एक ही रास्ता था. जनरल डायर ने अपने सैनिकों को बाग के एकमात्र तंग प्रवेश मार्ग पर तैनात किया था. जनरल डायर पहले से ही जानता था कि बाग में लोग जमा होने वाले हैं. उसने मौका देखा और अपने सैनिकों को लेकर पहुंच गया. जिसके बाद डायर ने बिना किसी चेतावनी के सैनिकों को गोलियां चलाने का आदेश दिया और चीखते, भागते निहत्थे बच्चों, महिलाओं, बूढ़ों की भीड़ पर 10 से 15 मिनट में 1650 राउंड गोलियां चलवा दीं. लोग अपनी जान बचान के लिए इधर- उधर भागने लगे थे. यहां तक की लोग गोलियों से बचने के लिए बाग में मौजूद कुएं में भी कूद गए थे. बताया जाता है कि कुएं से कई लाशें निकाली गई थी. जिसमें बच्चे, बूढ़े, महिलाएं, पुरुष शामिल थे. इसी के साथ कई लोग की जान भगदड़ में कुचल जाने की वजह से चली गई थी.इस लिए आज भी इस काण्ड का केवल नाम मात्र सुनलेने से आँखे भर जाती हैं