पिछली कड़ी में आपने सुना कि किस तरह हमारे कुछ श्रमिक साथियों ने कम्पनी में काम ना मिलने के कारण आजीविका के लिए ई-रिक्शा चलाना शुरू कर दिया है। अब हमारे श्रमिक साथी किसी ठेकेदार या कम्पनी-मालिक के दबाव तले काम करने को राज़ी नहीं हैं। अब वे अपनी आजीविका के लिए न सिर्फ़ नए विकल्पों की तलाश कर रहे हैं, बल्कि बेझिझक उन्हें अपना भी रहे हैं। क्या आप भी नौकरी या काम ना मिलने के कारण परेशान हैं और इस कारण अपना कोई रोज़गार शुरू कर दिया है या करने की सोच रहे हैं?