आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने बढ़ते पूंजीवाद को लेकर भारत को चेताया, कहा- खड़ा हो सकता है सामाजिक विद्रोह भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने बढ़ते पूंजीवाद से समाज में होने वाले विद्रोह को गंभीर खतरा बताते हुए चेताया है। उनके मुताबिक विशेषकर 2008 की वैश्विक वित्तीय मंदी के बाद आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था लोगों को बराबर अवसर उपलब्ध नहीं करा पाई है। यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो में प्रोफेसर राजन ने एक कार्यक्रम में बताया कि अर्थव्यवस्था के बारे में विचार करते समय दुनियाभर की सरकारें सामाजिक असमानता को नजरअंदाज नहीं कर सकती हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री रह चुके राजन ने कहा कि पूंजीवाद गंभीर खतरे में है, क्योंकि इसमें कई लोगों को अवसर नहीं मिल पा रहे हैं और जब ऐसा होता है तो पूंजीवाद के खिलाफ विद्रोह खड़ा हो जाता है। वास्तव में जो लोग इससे प्रभावित हो रहे हैं उनकी स्थिति बिगड़ी है।" राजन ने कहा , "संसाधनों का संतुलन जरूरी है , आप अपनी पसंद से कुछ भी चुन नहीं सकते हैं। वास्तव में जो करने की जरूरत है वह अवसरों में सुधार लाने की जरूरत है।" बीते एक साल में किसान और श्रमिक संगठनों की ओर से निकाले गए प्रदर्शन मार्च हों या नोएडा में हाल ही में हाइपैड फैक्ट्री में श्रमिकों की ओर से किया गया हंगामा देखें या नीमराना में अपने अधिकारों को लेकर डायकेन फैक्ट्री श्रमिकों के चल रहे संघर्ष की बात करें तो कही न कहीं रघुराम राजन द्वारा ज़िक्र किए गए पूंजीवाद के खिलाफ सामाजिक विद्रोह के कुछ उद्हारण हम देख सकते हैं। ज़रूरत है उच्च् कौशल प्रशिषण को बढ़ावा देकर कुशल श्रेणी श्रमिक तौयार करने की जिससे आर्थिक असमानता और पूंजीवाद के बढ़ रहे खतरे को रोका जा सके। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में उच्च कुशल श्रमिकों के अभाव से रोज़गार के अवसर नहीं मिल पाते हैं।