नया साल शुरू हो चुका है लेकिन गुजरे हुए साल के आखिरी कुछ दिन काफी मुश्किलों भरे रहे. सियासत से लेकर समाज तक हर जगह बडे—बडे परिवर्तन देखने मिले और कुछ बदलाव ऐसे थे जिन्होंने आंदोलन का रूप ले लिया.बात हो रही है सीएए और एनआरसी के विरोध में देश भर में हो रहे आंदोलनों की. इस वक्त हमारे देश और एकता पर एक अजीब का असमंजस पैदा हो गया है. कई लोग सच के साथ है तो कुछ अफवाहों का शिकार हो रहे हैं. ऐसे मौके पर हम जनता से जानना चाहते हैं कि वो क्या महसूस कर रही है?

नए साल में नए उम्मीद के कार्यक्रम शामिल हुए मोबाइल वाणी के नियमित श्रोता और अपनी बताई उम्मीदे अपनी जुवानी

नव वर्ष और नयी उम्मीदें इसी के साथ लोग प्रवेश करेंगे नए साल में। ऑडियो पर क्लिक कर सुनें पूरी खबर को।

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साल 2020 शुरू होने वाला है. जो काम इस साल अधूरे रह गए हैं, वे नए साल में पूरे होने की उम्मीद है. जनता की रिपोर्ट चर्चा मंच पर इस बार का विषय है— नया साल, नया संकल्प, नया बदलाव. सुनने के लिए सूने ऑडियो...

सर्दियों का मौसम शुरू हो चुका है. यही वो वक्त है जब लोग परिवार के साथ बैठकर तरह—तरह के पकवान खाना पसंद करते हैं और जब पकवान की बात हो तो प्याज, टमाटर और आलू का होना बहुत जरूरी है. लेकिन जिस तरह से इनके दाम आसमान पर पहुंच गए हैं उससे उम्मीद कम ही है, कि लोग इस बार चटपटे व्यंजनों का लुत्फ उठा पा रहे होंगे। वहीं दूसरी ओर किसानों के हाथ अब भी खाली हैं। यानि आम जनता महंगे दामों पर प्याज और बाकी सब्जियां खरीद रही है लेकिन उसका मुनाफा किसानों को नहीं मिल रहा है। दोनों पक्षों की समस्याओं को सामने लाने के लिए मोबाइलवाणी ने इस बार जनता की रिपोर्ट चर्चा मंच पर— महंगे प्याज—टमाटर, क्या सूख पाएंगे किसानों के आंसू!, विषय पर बात की। जहां आम आदमी से लेकर किसानों और व्यापारियों ने भी अपनी राय रखी।अगर आप भी इस विषय पर अपना पक्ष रखना चाहते हैं तो अपनी बात हमारे साथ साझा करें। अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए फोन में दबाएं नम्बर तीन। इसके साथ ही अन्य रोचक जानकारियों के लिए सुनते रहें मोबाइलवाणी एप।

एक तरफ लोग मंदी की मार झेल रहे हैं और दूसरी ओर आसमान छूती मंहगाई ने कमर तोड़ दी है. बेरोजगारी के कारण आम जनता पहले ही हलाकान थी और अब प्याज—टमाटर की बढ़ती कीमतों ने उनके खाने की थाली और भी सूनी कर दी है. आलम ये है कि लोग सब्जियां खरीदने से पहले दो बार सोच रहे हैं. लेकिन अगर सिक्के के दूसरे पहलू पर नजर डाले तो इस मंहगाई से किसानों को मुनाफा होना चाहिए.ब्जियों के दाम बढ़ा देने से किसानों को फायदा होगा? या फिर केवल सरकारी खजाने ही भरेंगे. इसके साथ ही हमें बताएं कि आपके यहां प्याज, आलू और टमाटर जैसी फसलों के भंडार के लिए उचित व्यवस्था है या नहीं? और प्याज की जमाखोरी के बारे में आप क्या सोचते हैं?

यातायात व्यवस्था के संदर्भ में रवि कुमार का वक्तव्य

सोनपुर प्रखंड के एक बालू व्यापारी मुकेश रंजन ने बताया कि सरकार को यातायात नियमों में भारी जुर्माने की रकम न लेकर उसकी जगह सही तरह से शासन व्यवस्था बनाये तो यह कारगर जो सकता है।