रजनी कुमार सिंह,जमुई से मोबाइल वाणी के माध्यम से बताना चाहते है की सरकारी विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का दावा सरकार द्वारा किया जाता है लेकिन विद्यालय में पढ़ा रहे अधिकांश शिक्षक अशिक्षित है। पिछले डेढ़ दशक में विद्यालयों में नियुक्त शिक्षक की दक्षता गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सवाले के घेरे में खड़ा कर देती है ,अधिकांश शिक्षको को फर्जी प्रमाण पत्रो के आधार पर नियुक्त की गयी क्योकि जिन शिक्षको को खुद ज्ञान की कमी हो वो बच्चो को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा क्या देगी। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कमी के कारण लोग अपने बच्चे को निजी स्कूल में भेज रहे है,शिक्षा के अधिकार कानून का पालन पूरी तरह नहीं हो पा रहा है. विद्यालयों में बच्चो के लिए चलाये जा रहे योजनाये पदाधिकारियो एवम शिक्षको के लिए अतिरिक्त आय का साधन माना जाता है।