रबी फसलों की निर्भरता पूरी तरह मौसम पर आधारित है। मौसम यदि अनुकूल रहा तो पैदावार अच्छी होती है और यदि मौसम का साथ नहीं मिला तो उपज प्रभावित होती है। इस बार की मौसम रबी फसल खासकर गेहूं के लिए शुरुआती दिनों में उपयुक्त नहीं रहा। खासकर दिसंबर में ठंड नहीं बढने के कारण फसल अच्छी नहीं रही। अब जब जनवरी माह में ठंड बढी है तो किसान थोड़े खुश दिख रहे हैं। कृषि विज्ञान केंद्र राघोपुर के पूर्व कृषि विज्ञानी डा. मनोज कुमार कहते हैं कि रबी फसलों के लिए शुरूआत में समय संतोषजनक नहीं रहा। मौसम की प्रतिकूलता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दिसंबर में शीतलहर नहीं चली। अब मौसम गेहूं के अनुकूल हुआ है। हालांकि शीतलहर 7 डिग्री से नीचे तापमान रहने पर ही माना जाता है। बावजूद किसानों की उम्मीदें गेहूं की पैदावार को लेकर बढ़ने लगी है। इसके लिए जरूरी है कि समय-समय पर किसान फसलों की देखरेख करता रहे। खासकर गेहूं के लिए समय से पटवन की अति आवश्यक होती है। विज्ञानी के अनुसार गेहूं की फसल के लिए मौसम अभी अनुकूल है। ऐसी स्थिति में सिंचाई के बाद उर्वरक के रूप में प्रति एकड़ 40 किलोग्राम यूरिया का प्रयोग करना चाहिए। किसान दानेदार यूरिया की जगह नैनो यूरिया का भी प्रयोग कर सकते हैं। खरपतवार नियंत्रण के लिए गेहूं में चौड़ीपट्टी के लिए दो-चार डमीसाल्ट 58 प्रतिशत को 400 मिली लीटर पानी में प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करना चाहिए। फसल की पहली पटवन 21 से 22 दिनों के अंदर निश्चित रूप से कर देना चाहिए।