प्रथम स्वतंत्रता सेनानी व आदिवासी समाज में जन्मे क्रांतिकारी भगवान टंट्या भील का शहादत दिवस सोमवार को मनाया गया ग्राम घोल्यापनी व कुसम्या के बिच 500 मीटर ऊंची रानी काजल माता की चोटी पर टंट्या भील कि प्रतिमा पर मल्यार्पण कर ऊनके बलिदान को याद किया गया! यूवाओ और देश वासियों को टंट्या भील के संघर्ष को जानकर उनसे प्रेरणा लेना चाहिए की वे कैसे देश व माटी के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देने वाले महान क्रान्तिकारी थे और अपनी प्रवाह किए बिना अंग्रेजी हुकूमत को घुटनों के बल ला दिए थे ऐसा कहा जाता था उस समय टंट्या भील का इतना खोप था की अंग्रेज टंट्या भील की कदमों की आहट सुनकर अपना रास्ता बदल लिया करते थे ऐसे महान क्रान्तिकारी के बलिदान को ये देश व दुनियां कभी नहीं भूलेंगे!