बिहार सरकार एवं हाई कोर्ट के निर्देश के आलोक में ड्रग इंस्पेक्टर द्वारा खुदरा दवा दुकानों की जांच के क्रम में शहर के टाउन थाना के पास बच्चों के डॉक्टर के यहां एक कंपनी का प्रोडक्ट एलसीन ओजेड सस्पेंशन पाया गया है। ड्रग इंस्पेक्टर विकास शिरोमणि ने उसके बिक्री पर तत्काल प्रतिबंध लगा दिया।उनका कहना है कि लेवोफ्लाक्सासिन के साथ ओरनिडा जोल का प्रयोग 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के मानसिक विकास में बाधक होता है। तथा उनके दिमाग को शिथिल कर देता है। इसलिए इसका प्रयोग बच्चों पर नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन चिकित्सकों द्वारा इसका प्रयोग किया जा रहा है व कंपनी द्वारा बनाई जा रही है जो अपराध है। इस संदर्भ में उन्होंने रिपोर्ट बनाकर ऑल इंडिया ड्रग कंट्रोलर, बिहार ड्रग कंट्रोलर व वरीय पदाधिकारियों को सुपुर्द कर दिया है । बताया कि यह दवा कई दवा दुकान होल सेलर में पाया गया। इसको तत्काल दवा की बिक्री पर रोक लगा दिया गया है। उन्होंने बताया कि दवा दुकानों में कार्यरत फार्मासिस्ट को जांच के क्रम में पाया कि शहरी क्षेत्र में संचालित कतिपय बड़ी दुकानों में फार्मासिस्ट उपलब्ध हैं। अभी जांच जारी है। जिला में करीब 22 सौ दवा की दुकान है। उन्होंने बताया कि सरकारी अस्पताल जिनकी संख्या जिले में लगभग 50 के आसपास है वहां मात्र 5 या 7 फार्मासिस्ट कार्यरत हैं ।बाकी कार्य अस्पताल कर्मियों से कराई जाती है, जो गलत है। पूर्वी चंपारण जिला केमिस्ट एसोसिएशन इस संदर्भ में पहले ही आपत्ति दर्ज कर चुका है। पूर्वी चंपारण जिला केमिस्ट एंड ड्रगीस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अश़फाक करीम व सचिव ध्रुवदेव नारायण सिंह ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में गवर्नमेंट हॉस्पिटल, प्राइवेट हॉस्पिटल व दवा दुकान सब की जांच करनी और फार्मासिस्ट की खोज करनी है। यहां 90 प्रतिशत पीएचसी, सीएचसी में फार्मासिस्ट नहीं है। स्वीपर या चपरासी दवा वितरण करता है।