मोतिहारी छोटा बरियारपुर महर्षिनगर स्थित आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान-वेद विद्यालय में होली मिलन समारोह सह महामूर्ख सम्मेलन का आयोजन किया गया।समारोह की अध्यक्षता करते हुए पीयूपी कॉलेज के प्राचार्य डॉ(प्रो.) कर्मात्मा पाण्डेय ने कहा कि होली देवताओं का भी प्रिय पर्व रहा है। पौराणिक मान्यता के अनुसार श्रीकृष्ण ने द्वारिका वासियों, व्रजवासियों, अपनी रानियों,पटरानियों के साथ होली का उत्सव मनाया है। भगवान शंकर ने तो श्मशान की राख से होली खेलकर अपने को कृतकृत्य किया है।सोमनाथ संस्कृत विवि ,गुजरात के पूर्व डीन प्रो देवेन्द्र नाथ पाण्डेय ने कहा कि सूर्य के प्रकाश से अप्रत्यक्ष से प्रत्यक्ष तक फैला प्रत्येक रंग विधाता की कल्पना का प्रमाण है। हरा रंग समृद्धि,विकास तथा पुन निर्माण का उद्घोष करता है तो पीला या केसरिया कल्पना,ज्ञान व बुद्धि की शक्ति को दर्शाता है। लाल रंग कर्मयोग के उल्लास को झलकाता है। मगर काला रंग तामसिक प्रवृत्ति का प्रतीक है। अत होली के अवसर पर काले रंग का उपयोग सर्वथा निषेध है।प्राचार्य सुशील कुमार पाण्डेय ने कहा कि ऐसी मान्यता है कि अट्टहास,किलकारियों तथा मंत्रोच्चार से पापात्मा राक्षसों का नाश हो जाता है। इसलिए होलिकादहन के समय सभी उच्चे स्वर में अट्टहास व किलकारियाँ मारकर होलिका के चारो ओर झूम झूमकर नृत्य करते हैं। अन्य वक्ताओं में प्रो विमलेश जी,प्रो रत्नेश आनन्द,प्रो विश्वेश ,प्रो शिवेन्द्र सिंह, प्रो अंजनी श्रीवास्तव,प्रो रामनिरंजन पाण्डेय,प्रो अमित रंजन,पूर्व एमएलसी बबलू गुप्ता आदि थे।