बिहार राज्य के जमुई जिला से संजीवन कुमार सिंह ने मोबाइल वाणी को बताया कि आम चुनाव से पहले मोदी सरकार के बड़े मास्टर स्ट्रोक के रूप में देखे जा रहे सामान्य वर्ग के आर्थिक रुप से पिछड़े लोगों को आरक्षण देने के फैसले पर फिलहाल अमल शुरू हो गया है। सरकार ने इसे लेकर पहली भर्ती भी निकाल दी है, जिसमें पहले से तय आरक्षित कोटे के साथ ईडब्लूएस कोटे को भी जगह दी गई है। हालांकि यह पहले से तय आरक्षण कोटे के अतिरिक्त होगा। यह पहली भर्ती कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) की ओर से निकाली गई है, जिसके तहत जूनियर इंजीनियरों की नियुक्ति की जानी है।सरकार ने इसी बीच सभी विभागों से खाली पदों को भरने की प्रक्रिया तेज करने को भी कहा है। इसके तहत आने वाले दिनों में सरकारी विभागों की बड़े पैमाने पर भर्तियां देखने को मिल सकती है। सरकार की इस पूरी कवायद के पीछे मकसद साफ है, वह चुनाव से पहले इस आरक्षण का लाभ ज्यादा से ज्यादा लोगों को दिलाना चाहती है। ताकि इसे लेकर लोगों में क्रेज बरकरार रहे।सरकार ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रुप से गरीब लोगों को सरकार ने हाल ही में 10 फीसद आरक्षण देने की घोषणा की है। इसके तहत उन्हें शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश लेने और सरकारी नौकरी पाने में इसका लाभ मिलेगा।सरकार ने इस बीच महीने भर से कम समय में सामान्य वर्ग के आर्थिक रुप से पिछड़े लोगों को आरक्षण का लाभ देकर एक रिकार्ड भी बनाया है। सरकार ने यह आरक्षण देने का फैसला 7 जनवरी को कैबिनेट में लिया। जिसे आठ जनवरी को लोकसभा और नौ जनवरी को राज्यसभा से पारित कराया। 12 जनवरी को राष्ट्रपति ने भी इसको मंजूरी दे दी।इसके बाद 17 जनवरी को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने इसे लेकर अधिसूचना जारी की। साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय और कार्मिक मंत्रालय को इस पर आगे का अमल शुरू करने के लिए भेजा। एक फरवरी को डीओपीटी की अनुमति के बाद कर्मचारी चयन आयोग ने सामान्य वर्ग के पिछड़ों को भी आरक्षण लाभ के दायरे में शामिल कर पहली भर्ती जारी कर दी।