बिहार राज्य के जमुई जिला गिद्धौर प्रखंड से रंजन जानकारी देते हैं की हमारे समाज में जब एक है तब कुछ लोग ही ख़ुशी मनाते हैं।लोगों के मध्य हमेशा से ही यह धारणा बनी रही है की लड़कियों के जन्म के बाद उन्हें पढ़ाने और उनके विवाह में अत्यधिक खर्च का बोझ उनके ऊपर होगा।ऐसी धारणा अधिकतर अशिक्षित परिवार में होती है।पहले शिक्षा का प्रचलन सिर्फ उच्च जाति और संपन्न परिवारों में ही था।लेकिन अब शिक्षा के प्रति हर लोग जागरूक हो चुके हैं।जब एक शिक्षित लड़की विवाह के बंधन में बंधती है,तो उसे माँ बनने का सही उम्र परिवार नियोजन के तरीके और छोटा परिवार सुखी परिवार जैसी बातों होती है।जिससे वो एक अच्छे परिवार की नींव रखती है। इसके साथ ही को भी जागरूक करती है।वर्तमान में देखा जाए तो बेटियों ने ही माँ-पिता की सेवा करने में अपनी भूमिका दिखाई है।बेटे अक्सर शादी के बाद परिजनों को छोड़ कर अपने परिवार के साथ प्रदेश चले जाते हैं।लड़कियाँ हर क्षेत्र में अपना नाम रोशन कर रही हैं।इसलिए हम सब को बेटी पढ़ाओ और बेटी बचाओ की धारणा के साथ ही आगे बढ़ना चाहिए।