बिहार राज्य के जिला जमुई के गिद्धौर प्रखंड से संजीवन कुमार सिंह जी मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि जैविक खाद से खेती की लागत में कमी आती है और इसके इस्तेमाल से मिट्टी की जीवांश शक्ति बढ़ती है। साथ ही मिट्टी में जलधारण क्षमता, जीवाश्म के अनुपात में वृद्धि के अलावा पीएच मान नियंत्रित होता है। प्राकृतिक रूप से उत्पादित अन्न सेहत के लिए फायदेमंद होता है। वहीं नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश उर्वरक के इस्तेमाल से ¨सचित भूमि में उगाए गए गेहूं और मक्के में प्रोटीन की मात्रा 20-25 प्रतिशत कम हो जाती है। इन माइक्रो अवयवों के चलते पेड़-पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है। रासायनिक उर्वरक का अधिक इस्तेमाल कर उगाया गया अन्न सेहत के लिए ठीक नहीं है। इससे मिट्टी में प्राकृतिक रूप से मौजूद खनिज तत्वों का संतुलन बिगड़ जाता है। जैविक खाद के उपयोग से पीएच मान को भी नियंत्रित कर बेहतर उत्पादन किसान प्राप्त कर सकते हैं। आज के परिवेश में रासायनिक खाद स्वास्थ्य व सेहत के लिए हानिकारक है। लोग विभिन्न प्रकार के बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। इसको लेकर सरकार ने भी जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाओं की शुरूआत की है।