बिहार राज्य के जिला जमुई के गिद्धौर प्रखंड से भीम राज जी मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि हर वर्ष 1 मई को अंतराष्ट्रीय मजदुर दिवस मनाया जाता है। अपने देश में भी इस दिन मजदूरों के लिए तमाम घोषणाएं की जाती है,मगर शायद वो 1 मई तक ही सिमित रह जाती है। मजदुर और मजबूर एक ही सिक्के के दो पहलु है। आज हमारे देश में मजदूरों की स्थिति उतनी अच्छी नहीं है जितनी होनी चाहिए। मजदुर हर मौसम में अपने शरीर को भष्म करने के बाद कई जगहों पर उनको सही हक़ तक नहीं मिलता है,वे खून के घूंट पीते रहते है। मगर अपने ऊपर होने वाले जुल्म के विरुद्ध आवाज़ को नहीं उठा पाते है। क्योंकि एक तो मजदुर संगठन नहीं है और फिर वे मजबूर भी होते है। निजी क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों की स्थिति और भी खराब होता है। सरकार को इस पर ध्यान देने की ज़रूरत है।