बिहार के जिला जमुई से दिलीप पांडेय जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि अमूमन गर्मी में पानी के लिए लोगों के भटकने की बात समझ में आती है। बरसात में भी पानी के लिए जान जोखिम में डालकर नदी पार करना पड़े तो यह व्यवस्था के लिए एक गंभीर सवाल है। जिला मुख्यालय से छह किमी की दूरी पर मलयपुर की बड़ी आबादी को शुद्ध पेयजल के लिए जान जोखिम में डालना पड़ता है।महिलाएं बरसाती नदी आंजन पार कर नदी के दूसरे कछार पर बालू से पानी निकालती हैं। मलयपुर बस्ती की रहने वाली रनिया देवी, महादलित टोले की कारी देवी, सुखमिनिया देवी बताती हैं कि उनके घर के आसपास के चापाकल शुरुआती गर्मी में ही दम तोड़ दिया था। तब से वह खराब पड़ा है। पानी के लिए आंजन नदी ही एकमात्र साधन है। नदी में पानी आ जाने के बाद उन्हें नदी पार कर दूसरे कछार पर जाना पड़ता है जहां बालू में गड्ढा खोदकर पानी निकालती हैं। नदी के जलस्तर में बढ़ोत्तरी होती है तो इनके सामने पानी की समस्या गंभीर हो जाती है। पानी के लिए भटकना पड़ता है और आंजन नदी का जलस्तर कम होने का इंतजार भी करना पड़ता है।मलयपुर बस्ती से सटे आंजन नदी के ठीक सामने शिवमंदिर और थोड़ी दूर आगे बढ़ने पर साव टोला में लगा चापाकल पिछले छह महीने से खराब पड़ा है। एनएच-333 से सटे कर्मशाला के समीप के चापाकल से भी अब पानी नहीं निकलता है। अधिकांश चापाकल पंचायत व पीएचईडी विभाग द्वारा लगाया गया है लेकिन इन बंद चापाकल के मरम्मत की बात पर सभी ने आंखें मूंद ली है।