जमुई से दिलीप पण्डे जी मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते यही कि जमुई की धरती लालबत्ती वाले नेताओं से भरी पड़ी है। जिन्होंने लालबत्ती पाई भी तो इसका अहसास आम जनता को नहीं होने दिया और तब इसे रौब या डर दिखाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता था। वक्त बदला तो अभी भी लालबत्ती जमुई में है लेकिन ये लोगों को अहसास कराने के लिए, न कि पद और पद के अनुरूप उनकी सुरक्षा, सुविधा के लिए जनता के बीच जाना हो, भीड़ जुटाना हो और अपनी ताकत का एहसास कराना हो तो लालबत्ती का इस्तेमाल किया जा रहा था। हद तो तब हो गई जब कई लोगों खासकर जिला परिषद अध्यक्ष की गाड़ी पर लगी लालबत्ती को खुलवाने के लिए मीडिया को ध्यान आकृष्ट कराना पड़ा था और तब भारी फजीहत के बाद प्रशासन बनाम जनप्रतिनिधि के रस्साकसी में लालबत्ती को खुलवाया जा सका। वही प्रमोद कुमार पम्पी प्रधानमंत्री के इस फैसले का तहेदिल से स्वागत करते हैं। कहते हैं कि एम्बुलेंस के मामले में भी सरकार को विचार करना चाहिए। एम्बुलेंस में नीली बत्ती व हूटर लगाकर व्यापक पैमाने पर दुरुपयोग शुरू हुआ है। इसे भी देखने की जरूरत है।वही मुखिया भावना सह कहती हैं कि राजनीति में सेवा करने वाले लोग जब लालबत्ती लगाकर वीवीआइपी बनने की कोशिश करते हैं तब आम जन को लगता है कि हमारे प्रतिनिधि मुझसे दूर हो गए हैं। इसलिए प्रधानमंत्री ने जनसेवकों के लिए बेहतर संदेश दिया है।