बिहार राज्य के जमुई ज़िला के धौघट से रंजन की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से शुभाष साहू से हुई। ये कहते है कि महिला को जमीन में अधिकार मिले तो वो खेती कर सकती है ,पशुपालन कर सकती है। स्वरोजगार कर अपना भरण पोषण कर सकती है। अगर महिलाओं को भूमि अधिकार दिया जाए तो वो आत्मनिर्भर बन सकती है। शुरू से पुरुषों को प्रधानता मिल रहा है ,ये सोच गलत है। आज के समय में लड़कियाँ लड़कों से कम नहीं है। शिक्षा के अभाव में समाज के लोग महिलाओं को ऊपर नहीं ला पाते है। जबतक महिला शादीशुदा नहीं होती है ,उन्हें पैतृक संपत्ति में अधिकार मिलता है ,शादी के बाद पैतृक संपत्ति में हकदार नहीं माना जाता है ,उनका ससुराल में अधिकार माना जाता है। यह गलत है। समाज में दहेज़ प्रथा अभिशाप है। समाज में महिलाओं की आर्थिक स्थिति भी कमज़ोर है। अगर महिला शिक्षित होगी तो वो आगे अपने खुद के लिए प्रयास कर सकती है ,आगे बढ़ सकती है। सरकार महिलाओं को बढ़ाने का प्रयास कर रही है पर ग्रामीण क्षेत्र की महिला अभी भी जागरूक नहीं है। सरकार चाहे तो ऋण ,कम ब्याज दर पर महिला की मदद करे तो महिला आगे बढ़ सकती है