अंतरराष्ट्रीय पटल पर काम के घंटे एवं कार्य दिवस काम होते जा रहे हैं लेकिन हमारे देश में सप्ताह के पूरे दिन एवं कार्य दिवस के साथ-साथ कार्य का समय 12 से 16 घंटे हो रहे हैं और श्रमिक एवं कर्मचारी उसे कार्य को मजबूरी बस कर रहे हैं जिसके कारण कर्मचारी का मानसिक एवं शारीरिक परेशानी बढ़ता जा रहा है एवं अपने परिवार एवं बच्चों से दूर होता जा रहा है अधिक काम करने के कारण लोग थकान अधिक महसूस कर रहे हैं और अपने परिवार एवं बच्चों पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं और अपनी थकान को दूर करने के लिए कर्मचारी और श्रम एक नशा की ओर अग्रसर भी हो रहे हैं