करौली पंचायत के जरूरी वार्ड नंबर 2 की आदिवासी महिलाएं बता रही है कि वह जंगलों से पत्ते तोड़कर रहती है और पत्थर बनाकर उसे बाजार में भेजती है तब उसे परिवार चलाना पड़ रहा है ऐसी स्थिति में अगर सरकार उन्हें स्वरोजगार द्वारा कार्ड मुहैया करा दिया जाता है तो शायद उसे ₹6000 सालाना मिल जाता है