बिहार राज्य के जमुई जिले के गिद्धौर प्रखंड से रंजन कुमार ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि बेटी पढ़-लिख कर समाज में परिवर्तन लाती है।समाज में बेटी को दुर्गा एवं लक्ष्मी का स्वरुप समझा जाता है और बेटी का मान-सम्मान भी किया जाता है।परन्तु समाज में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो बेटी को बोझ समझते हैं। इस प्रकार की सोच के पीछे सबसे बड़ा कारण है दहेज-प्रथा। जिस परिवार में तीन -चार बेटियाँ जन्म लेती हैं ,उसके माता-पिता समय से पहले ही बूढ़े हो जाते हैं। आज के समाज में भी दहेज का दानव मुँह फाड़े खड़ा रहता है। आय दिन हम समाज में देखते हैं कि दहेज के कारण बेटियाँ आत्महत्या करने का प्रयास करती हैं,ताकि उनके माता-पिता को कोई परेशानी ना हो। अशिक्षित बेटी की शादी में दिक्कत होती है ,इसलिए बेटियों को शिक्षित तो किया जाता है परन्तु गरीबी और असुरक्षा के कारण उनकी पढ़ाई अधूरी रह जाती है।