बिहार राज्य के जमुई जिला सिकंदरा प्रखंड से विजय कुमार मोबाइल वाणी के द्वारा कहते हैं कि जल,जंगल और जमीन हमारी धरोहर है।जो हमें प्रकृति द्वारा प्रदत्त है।इसका उपयोग मानव अपनी आवश्यकता अनुसार हमेशा से ही करता रहा है।वर्त्तमान समय में बढ़ती आबादी एवं बढ़ता लालच के कारण प्राकृतिक धरोहर भी अब सीमित मात्रा में बचे हैं।जंगल तो अब बचे ही नहीं हैं,जमीन पर निजी अधिकार हो चूका है।जल और वायु ही अब सिर्फ बचें हैं,जिनका निजीकरण नहीं हो सका है।यही दो चीज़ ऐसे हैं,जिनका प्रयोग लोग अपनी सुविधा अनुसार कर पा रहे हैं।लेकिन अब ऐसा लगने लगा है कि इस आर्थिक उपनिवेशवादी दुनिया में जल और वायु पर भी लोगों का अधिकार हो जाएगा।कई जगहों पर यह देखने को मिल भी रहा है कि जल का व्यवसायीकरण कर के लोग मुनाफा अर्जित करने में लगे हुए हैं।जिसका परिणाम यह हो रहा है कि पीने योग्य जल भी अब प्राकृतिक रूप से उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।प्रकृति के इस धरोहर की सुरक्षा और इसके व्यवसायीकरण पर रोक लगाना सरकार का सबसे प्रमुख कर्तव्य होना चाहिए। इसके साथ ही सरकार को यह भी ध्यान देना चाहिए कि इसका लाभ सभी नागरिकों को आसानी से प्राप्त हो सके।