बिहार राज्य के जमुई जिला के सिकंदरा प्रखंड से ज्योति कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से अपना विचार साझा करते हुए कहती हैं कि हम अपने प्रतिदिन की दिनचर्या में इतने व्यस्त हो जाते हैं की अपने आस-पास की चीज़ों को नजरअंदाज कर देते हैं।सुबह होते ही लोग अपने काम के लिए तो कुछ काम की तलाश में घरों से निकल पड़ते हैं।हर इंसान अपनी जिंदगी के संघर्ष को लड़ने में ही परेशान है।जैसे भी हमलोग अपनी जिंदगी के पहिये को खींच रहे हैं।दो वक़्त की रोटी के कारण हम जैसे भी अपना चूल्हा तो जला लेते हैं पर उन गरीब असहाय लोगों का क्या जो कुछ भी करने में सक्षम नहीं हैं।जब हम सब घर से निकलते हैं,और हमारी नज़र मानसिक,शारीरिक और आर्थिक रूप से असक्षम लोगों पर पड़ती है,तो हम उनकी मदद करने की जगह उन्हें अनदेखा कर देते हैं।अंत में लाचार हो कर उन्हें कचरे से चुन कर अपना पेट भरना पड़ता है।क्या हम इसे ही मानवता कहते हैं ? हमें अपनी जिंदगी से कुछ समय निकाल कर इनकी खुशियों के लिए भी सोचना और कुछ करना चाहिए