दिल्ली एनसीआर के कापसहेड़ा से नन्द किशोर ,श्रमिक वाणी के माध्यम से बताते है कि छठ ही ऐसा पर्व है जहाँ पंडितों की आवश्यकता नहीं होती है। परंपरा के अनुसार भगवन भास्कर को अर्घ्य देने के लिए नदी ,तालाब की ओर श्रद्धालु जाते है। वहीं चावल के लड्डू का अपना एक अलग महत्व है।