माय नाम इस गुड्डन सूदन! मैं आपको एक कविता सुनाना चाहती हूँ! "वह चिड़िया, जो चोंच मार कर, जौ और बाजरे के दाने, रुची से रस भरे, खा लेती है... वो चिड़िया, जो संतोषी चिड़िया, नीले पंखों वाली, मैं हूँ.... मुझे अंत से बहुत प्यार है... .वह चिड़िया, जो पैट खोल कर, बूढ़े वन-बाबा की खातिर उस रस उड़ ले कर डाल लेती है... .वो चिड़िया मैं हूँ.... नीले पंखों वाली।"