सुनिए हमारे श्रोता राजेंद्र सालवी के द्वारा गाया गीत ,हल चला के खेतों को, मैंने ही सजाया है हल चला के खेतो को, मैंने ही सजाया है ,गेहूं चावल मक्का के, दाने को उगाया है,चुल्हा भी बनाया मैंने, धान भी पकाया है ,रहूं क्यूँ भूखे पेट रे,कि मेरे लिए काम नहीं।