कापसहेड़ा से रफ़ी जी बताते हैं कि 71 साल के बाद भी आजादी से पहले की तरह इंसाफ होता है।फर्क सिर्फ इतना है की पहले हम सभी अंग्रेज के कानून के गुलाम थे और आज उस कानून के गुलाम है जो अक्सर अमीरों और फैक्ट्रियों के मालिकों के लिए इंसाफ देता है। जंहा मजदूरों को सिर्फ तारीख मिलती है। एक मजदुर अपने परिवार के साथ गांव को छोड काम की तलाश में दिल्ली आया था। हांथ कट जाने के कारण उनका सारा ख्वाब टूट गया हांथ ना होने की वजह से कोई नौकरी भी हासिल नहीं हुई। बच्चो की परवरिश के खातिर रेवड़ी लगाना शुरू कर दिया। लेकिन आज अतिक्रमण की वजह से यह भी ख़त्म हो गई।