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रांची से अजय मोबाइल वाणी के माध्यम से ये बता रहे है कि ये आशा नाम के संस्था से जुड़े हे है। ये रांची के सराईकेला,खूंटी में काम करती है। ये संस्था पिछले 15 सालो से काम कर रही है। ये महिलाओ के लिए काम करती है। इनका कहना है कि महिलाओ के साथ अनेक प्रकार से हिंसाए की जाती है। जिसे घरेलु हिंसा,दहेज़ के लिए प्रतारणा और दायन कह कर भी महिलाओ के साथ हिसाए की जा रही है। यहाँ तक की हर साल 30,000 से अधिक महिलाओ को बेच दिया जाता है। पिछले साल से इस संस्था को क्रिया नाम की संस्था जो दिल्ली की है उन्होंने इस संस्था को सपोर्ट किया और ये उनके साथ मिल के एक सालो से काम कर रही है। क्रिया ऐसी संस्था है जो अनेको संस्था के साथ मिल कर झारखण्ड में महिलाओ के लिए काम कर रही है। क्रिया बहोत जोरो सोरो से महिलाओ के लिए काम कर रही है। जगह जगह प्रसिक्षण भी दे रही है। ये एक ऐसे हिंसा के बारे में लोगो को बताना चाहते है जो आग के तरह लोगो के बिच फैली हुई है। और ये है डायन प्रथा। एक आकडा बताता है कि पिछले 20 सालो में डायन के नाम पर 1327 महिलाए डायन के नाम पर मारी गयी है। ये थमने का नाम नही ले रहा है और दिन व दिन बढ़ते ही जा रहा है। इनका कहना है कि इस के लिए कदम बढ़ने के जरुरत है क्युकी लोगो में अभी भी बहोत अंधविश्वाश है। इन मरने वाली महिला में देखा जाए तो सभी एकल महिला है। कोई विधवा है ,कोई बूढी महिला है और जो समाज में थोड़ी अलग दिखती है ऐसी महिला भी डायन के नाम पर मारी गयी है। संस्था के द्वारा एक कानून भी बनाया गया है जो डायन प्रथा प्रतिछेद अधिनियम 2001 के नाम से जाना जाता है। इस कानून में ऐसा प्रावधान है कि अगर कोई भी व्यक्ति किसी भी महिला को डायन के कर उसको प्रतारित करते है उसे एक साल की सजा और 2000 रुपए जुर्वाना तय किया गया है। अगर किसी महिला को डायन कहा जाता है तो उसका सबसे बड़ा दोषी है ओझा जो महिलाओ को दयान घोषित करता है और इसके बाद ही ग्रामीणों द्वारा उसके साथ दूर वयवहार करते है और उसके साथ मार पिट करते है। साथ ही साथ ऐसी महिलाओ को कोई भी त्योहार या खुशियों के पल में साथ सामिल नही किया जाता है। और इस तरह के वयवहार को भी हिंसा कहा जाता है। इतना सब कुछ हो रहा है मगर सरकार के तरफ से कोई पहल नही किया जा रहा है। इनका कहां है कि क्रिया के साथ मिल के इन्हें ऐसा मौका मिला है कि वो इस अपराध को रोकने के लिए अपना कदम बढ़ा रहे है और लोगो की मदद कर रहे है ।और साथ ही साथ ये प्रयास कर रहे है कि इस तरह की घटनाए न हो उसके लिए लोगो को जागरूक कर रहे है। साथ ही साथ लोगो से ये भी कह रहे है कि अगर कही ऐसी घटना होती है तो वो बेझिझक पुलिस के पास जाए और अपनी समस्या उनको बताए और उस व्यक्ति के खिलाफ सिकायत दर्ज करे। अगर पीड़ित महिला चाहे तो महिला आयोग की सहायता भी ले है और इसके अलावा हर जगह अनेको संस्था है जो क्रिया के साथ मिल कर लोगो की मदद कर रहे है। उनसे भी महिलाए सहायता ले सकती है। इस तरह से महिलाए संस्था और लोगो की सहायता ले कर इस तरह की हिंसाओ को रोकने के लिए पहल कर सकती है और इसे हर से ख़तम कर सकती है।
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