शैलेन्द्र सिन्हा दुमका से झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बाल यौन शोषण पर कहते है कि बढ़ती बाल यौन हिंसा समाज के लिए एक अभिशाप और चिंता का विषय बन गया है इसका बच्चो पर नकारत्मक प्रभाव पड़ता है उनमे उत्साह कि कमी जाती है और बहुत खुलकर समाज में आगे आने कि कोशिश नहीं करते यह नकारत्मक प्रभाव कई रूपो में देखे जाते है यह केवल लड़कियो के साथ नहीं होता बल्कि लड़को के साथ भी होता है वैसे बच्चे जो ईट भट्टो में काम करते है या फिर होटलो में काम करते,पत्थर तोड़ने का कार्य करते है बीड़ी बनाते है उनके साथ भी यौन हिंसा जारी है और वैसे बच्चे जिनके साथ यह हादसा होता है वे इसको बताने में अपने आप को असहज महसूस करते है इसे रोकने और यौन हिंसा ग्रसित बच्चो के लिए दुमका में बाल श्रमिक विशेष शिक्षा केंद्र खोला गया है वैसे बच्चे जो 9-14 वर्ष के है,जो बाल श्रमिक का कार्य करते है उनको इस केंद्र में 1-5 क्लास कि शिक्षा दी जाती है.