जिला हजारीबाग से झब्बू लाल गिरी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है की बीसीसीएल कर्मियों द्वारा यह जानकारी प्राप्त हुई की यदि बीसीसीएल कर्मियों की कार्य करते दौरान मृत्यु हो जाती है तो उस दरमियान कर्मी के परिवार के सदस्य को नौकरी दी जाती थी। लेकिन आज 15 वर्ष हो गए अब ऐसा नहीं होता है।झांरखण्ड में जितने भी बीसीसीएल के जितने भी विभाग है उनमे कही भी मुआवजे के रूप में परिवार के सदस्य को नौकरी नहीं मिल रही है। जिससे लोग रोजगार के लिए दर-दर भटक रहे है